कोरोना के कारण देश की आर्थिक स्थिति काफी नाजुक बन गई है। लोगों के काम-धंधे ठप्प पड़ें हैं तो लाखों लोग अपनी नौकरी खो चुके हैं। लाखों रुपये महीने की सैलरी पाने वाले सड़क पर आ गए हैं।
जिन लोगों को अब तक नौकरी से हाँथ नहीं धोना पड़ा है उन्हें या तो सैलरी कम मिल रही है या फिर गैप करके दी जा रही है। कुल मिलाकर जो अभी भी नौकरी में हैं उन्हें भी कहीं न कहीं कम पैसे से ही किसी तरह गुजारा करना पड़ रहा है।
प्राइवेट सेक्टर में नौकरी काफी कम हो गईं हैं। लोग अपना स्टाफ 50 प्रतिशत से भी कम रखने के लिए मजबूर हैं। इन सब में प्राइवेट स्कूल का हाल भी बहुत बुरा है। बच्चे स्कूल जा नहीं रहे, अभिभावक फीस जमा नहीं कर रहे और स्कूल के टीचर बिना सैलरी या फिर आधे से भी कम में गुजारा कर रहे हैं।
यह भी पढ़ें: छह अस्पतालों ने भर्ती करने से किया मना, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर की हो गई मौत
ऐसे में उन टीचरों के घर की हालत काफी खराब हो गई है जो सिर्फ स्कूल की सैलरी से चलते थे। ऐसे ही दिल्ली के एक स्कूल टीचर हैं जो इंग्लिश पढ़ाते थे। अब उनकी हालत यह है कि उन्हें मजबूर होकर सब्जी बेचनी पड़ रही है।

वजीर सिंह दिल्ली के सर्वोदय बाल विद्यालय स्कूल में इंग्लिश के गेस्ट टीचर थे। लॉकडाउन के बाद उन्होंने किसी तरह अपने आप को संभाला। लेकिन मई से बिना सैलरी के घर चलाना मुश्किल हो गया।
Delhi: Wazir Singh, a contractual English teacher at Sarvodaya Bal Vidyalaya has been selling vegetables to make ends meet as schools are closed due to #COVID19. He says, "I was working as a guest English teacher, we have not been paid since 8th May. This is humiliating". (23.06) pic.twitter.com/KtPK0d9l3X
— ANI (@ANI) June 23, 2020
मजबूर होकर उन्होंने एक ठेला खरीदा और सब्जी बेचने पर मजबूर हो गए। शायद अब वह घर तो अपना चला लें लेकिन कई प्रश्न हैं जिनका जवाब केंद्र और राज्य सरकारों को देना चाहिए।
जिस प्रकार से मोदी सरकार ने कई घोषणाएं की थीं वह जमीन से कहीं इतर नजर आ रही हैं। वहीं दूसरी ओर दिल्ली में केजरीवाल सरकार चुनाव के समय काफी कुछ देने की घोषणा कर रही थी लेकिन अब वह भी नजर नहीं आ रही है।