BY – FIRE TIMES TEAM
हमारे देश में नेता बातें बड़ी-2 करते हैं, उन्हें सुनकर ऐसा लगता है मानो देश की सूरत चुटकियों में बदल जायेगी। कई सालों पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि बिहार में लोकल ट्रान्सपोर्ट के लिए हवाई टैक्सी शुरू की जायेगी। बिहार में कई चुनाव आये-गये लेकिन हवाई टैक्सी का कहीं पर भी नामो-निशान नहीं है।
अभी हाल ही में अहमदाबाद – मुंबई की तर्ज पर यूपी के धार्मिक स्थलों को बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी का ऐलान बीजेपी सरकार ने किया था। और अब प्राचीन नगरी काशी में सरकार का इरादा मेट्रो की बजाय रोपवे चलाने का है।
प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मेट्रो रेल की सवारी दूर की कौड़ी साबित हो रही है। शहर वासियों को जाम से राहत दिलाने के लिए रोपवे की कवायद तेज कर दी गई है।
वाराणसी पब्लिक ट्रान्सपोर्ट के लिए यदि रोपवे का प्रयोग करता है तो यह देश का पहला ऐसा ट्रान्सपोर्ट सिस्टम होगा। शासन की तरफ से वीडीए को वाराणसी कैंट से गोदौलिया तक रोपवे के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजने के लिए कह दिया गया है। इसे शहरी विकास मंत्रालय को भेजा जाना है।
वाराणसी में मेट्रो रेल को 6 साल पहले ही कवायद शुरू की गई थी, लेकिन यह सिर्फ फाइलों मेें दौड़ती रह गई। काशी में पहले मेट्रो और फिर लाइट मेट्रो चलाने की बात कही गई लेकिन कोई बात फाइलों से आगे नहीं बढ़ पाई।
और अब रोपवे शहर के लिए व्यवहारिक और किफायती माना जा रहा है। सर्वे के मुताबिक जहां मेट्रो पर 350-400 करोड़ का खर्च आयेगा वहीं रोपवे पर 50 से 60 करोड़ प्रति किलोमीटर का खर्च पड़ेगा।
अब शहरी विकास मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार इसी दिशा में आगे बढ़ने को लेकर गंभीर दिखाई दे रहे हैं। पायलट प्रोजेक्ट के तहत करीब 30 किलोमीटर तक रोपवे चलाने पर यूपी सरकार सहमत हुई है।
रोपवे निर्माण में एक्सपर्ट कही जाने वाली वैक्पास कंपनी वाराणसी में राजघाट से मछोदरी, विशेश्वरगंज होते हुए मैदागिन, चौक, गोदौलिया, सोनारपुरा, अस्सी से बीएचयू और बीएचयू से कैंट स्टेशन तक व कचहरी से गोदौलिया रूट का सर्वे कर चुकी है।