BY- FIRE TIMES TEAM
प्रत्येक वर्ष सयुंक्त राष्ट्र वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट देता है जिनमें दुनिया भर के देशों को शामिल किया जाता है। इस साल भी इस सर्वे में 156 देशों को शामिल किया गया है।
जहां हम एक तरफ 5 ट्रिलियन इकोनॉमी की बात कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर देश में हर रोज आज भी लाखों लोग रोज भूखे सोने को मजबूर हैं।
सर्वे बताते रहे हैं कि भारत आर्थिक रूप से काफी मजबूत हो रहा है वहीं यहाँ अरबपतियों की संख्या भी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
इस आधार पर भारत को खुशहाल देश के रूप में भी बढ़ना चाहिए लेकिन क्या ऐसा हो रहा है? दरअसल इसमें भारत आगे की ओर नहीं बल्कि पीछे की ओर जा रहा है।
जब से मोदी सरकार बनी है तब से लगातार भारत खुशहाली के मामले में पिछड़ता जा रहा है। 2013 में जब कांग्रेस सरकार थी तब भारत इसमें 111वें पायदान पर था।
मोदी सरकार के बनने के बाद 2017 में यह 122वें पायदान पर आ गया और 2018 में 133वें। पिछले साल 140वें पायदान पर खिसक गया था।
खास बात इस आंकड़े की यह है कि इसमें पाकिस्तान हमसे काफी आगे है। वह इस आंकड़े में 66वें नंबर पर है।
हमारे और भी पड़ोसी हमसे कहीं आगे हैं जिनमें मालदीव 87वें, नेपाल 92वें, चीन 94वें, बांग्लादेश 107वें पायदान पर। हमारे अन्य पड़ोसी देश श्रीलंका, म्यांमार और भूटान भी हमसे आगे हैं।
इस बार हैप्पीनेस रिपोर्ट के अनुसार भारत उन चंद देशों में शामिल है जो नीचे की ओर खिसके हैं। फिलिस्तीन जैसे देश जो युद्ध से गृसित हैं वो भी हमसे आगे हैं।
इस बार भी रिपोर्ट में फिनलैंड को दुनिया का सबसे खुशहाल देश बताया गया है। यह तीन से लगातार शीर्ष पर बना हुआ है। फिनलैंड के बाद डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, आइसलैंड, नार्वे नीदरलैंड हैं।
खुशहाल रिपोर्ट में सुशासन, स्वास्थ्य, जीवनकाल, प्रति व्यक्ति आय, दीर्घ आयु, सामाजिक सहयोग, स्वतंत्रता, उदारता आदि पैमानों का विश्लेषण किया जाता है।