BY – FIRE TIMES TEAM
कल रविवार को वर्ष 2020 का पहला सूर्यग्रहण लगने जा रहा है। यह जून महीने का दूसरा ग्रहण है, इससे पहले 5 जून को चंद्रग्रहण लगा था। और 5 जुलाई 2020 को भी चन्द्रग्रहण लगेगा। यह न तो पूर्ण सूर्यग्रहण होगा न ही आंशिक सूर्यग्रहण, क्योंकि चन्द्रमा की छाया सूर्य को करीब 99 प्रतिशत ढ़क लेगा। जिससे यह सूर्य ग्रहण अँगूठी की तरह दिखाई देगा, जो सूर्य को “रिंग आफ फायर” जैसा प्रतीत करायेगा।
21 जून का सूर्यग्रहण बहुत शक्तिशाली माना जा रहा है, इसीलिए सूतक काल की गंभीरता बढ़ जाती है। क्योंकि सूर्यग्रहण का सूतक काल सबसे प्रभावी होता है। इसीलिए इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते, यहां तक कि पूजा – पाठ और भोजन भी समय से पहले या बाद में ही किए जाते हैं। सूतक काल सूर्य ग्रहण से 12 घण्टे पूर्व ही लग जाता है। कल के सूर्यग्रहण का सूतक काल आज रात ही 9 बजकर 52 मिनट पर लग जायेगा।
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कहाँ दिखेगा सूर्यग्रहण
गुजरात के द्वारका में सुबह 09ः56 बजे ही सूर्यग्रहण देखा जा सकेगा। वलयाकार सूर्यग्रहण की शुरूआत राजस्थान के घरसाणा में सुबह 10ः12 बजे होगी, और 11ः49 बजे यह वलयाकार होना शुरू होगा और 11ः50 पर खत्म हो जायेगा। भारत में राजस्थान, हरियाणा और देहरादून के कुछ ही क्षेत्रों में यह ग्रहण दिखेगा। देश में सबसे अंत में असम के डिब्रूगढ़ में दोपहर 14ः29 बजे सूर्यग्रहण देखा जा सकेगा।
दुनियाभर में भारत के अलांवा चीन, ताईवान, इंडोनेशिया , दक्षिण-पूर्व यूरोप और अफ्रीका के कुछ क्षेत्रों में यह सूर्यग्रहण दिखाई देगा।
वैसे तो वैज्ञानिक इसे एक सामान्य खगोलीय घटना बताते हैं। लेकिन ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण का विशेष प्रभाव माना जाता है। दुनियाभर में ग्रहण की तमाम आश्चर्यजनक और डराने वाली कथायें प्रचलित हैं। कई बार दुनिया के अंत और प्रलय के विषय में भी दावे किए गये। भारत में ग्रहण का संबंध राहु और केतु नामक दो असुरों से माना जाता है। ग्रहण को देखना अशुभ भी माना जाता है।