तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले में पुलिस हिरासत में एक पिता और पुत्र की मौत ने सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर आक्रोश फैला दिया है। यह घटना अब राज्य में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक और विपक्षी द्रमुक के बीच लड़ाई का केंद्र बन गई है।
पी जयराज और उनके बेटे फेनिक्स को उनके मोबाइल फोन की दुकान को खोलने के समय लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन करने के लिए गिरफ्तार किया गया था। पिता और पुत्र को 19 जून की शाम को गिरफ्तार किया गया था।
गिरफ्तारी के बाद पिता-पुत्र की पुलिस थाने में बेरहमी से पिटाई की गई जिसके बाद उनकी हालत खराब हो गई। 23 जून को कोविलपट्टी के एक अस्पताल में दोनों ने दम तोड़ दिया।
दोनों के परिजनों ने भी आरोप लगाया कि अस्पताल ले जाने से पहले उन्हें पुलिस कर्मियों द्वारा एक पुलिस स्टेशन पर बुरी तरह से पीटा गया था।
इस घटना से राज्य में अफरातफरी मच गई थी। व्यापारियों ने शटर गिरा दिए थे, विरोध प्रदर्शन किए गए थे। मृतक के परिवार ने उप-निरीक्षकों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की है और कहा था कि जब तक उनकी याचिका पर ध्यान नहीं दिया जाता तब तक वे शव स्वीकार नहीं करेंगे।
अभी तक दो एफआईआर दर्ज कर ली गई हैं लेकिन किसी भी अधिकारी के ऊपर हत्या का मुकदमा नहीं हुआ है। चार पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है वहीं थाना इंचार्ज को दूसरी जगह ट्रांसफर कर दिया गया है।
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‘जयराज और फेनिक्स के लिए न्याय’ के आह्वान के साथ शुक्रवार से यह खबर ट्विटर पर ट्रेंड कर रही थी। मामले में कथित तौर पर बड़ी संख्या में लोगों ने पुलिस की बर्बरता की निंदा की। कई लोगों ने इस घटना की तुलना अमेरिका में पुलिस की बर्बरता के मामले से की जहां एक अफ्रीकी अमेरिकी व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड को ब्लैक लाइव्स मैटर के विरोध की एक नई लहर के कारण पुलिस वाले ने मार डाला था।
कई लोगों ने इस घटना को अलग-अलग भाषा में समझाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया ताकि भारत के सभी संस्कृतियों और भाषाई वर्गों के लोगों को इस बात से अवगत कराया जा सके कि तूतीकोरिन में क्या हुआ था।