BY – FIRE TIMES TEAM
आप जानते हैं कि भारत में मोबाइल डाटा काफी सस्ता है, लेकिन इसके बाद भी नवंबर 2018 के बाद 1 जीबी डाटा की कीमत में 65 फीसदी तक की कमी आई है। अगर भारत में 1 गीगाबाइट डाटा के भाव की बात करें तो यह 6.70 रूपये का है, यह दर दुनिया भर में सबसे कम है। वहीं मलावी में सबसे महंगा मोबाइल डाटा मिलता है।
दुनिया के अलग-2 देशों में मोबाइल डाटा की कीमत इतनी भिन्न है कि आप यह जानकर चौंक जायेंगे। सबसे महंगे और सस्ते डाटा के मध्य करीब 30 फीसदी का अंतर है। यह रिपोर्ट ब्रिटेन की एक कंपनी ने भारत और दुनिया के बाकी देशों में इंटरनेट के मूल्यों की तुलना के आधार तैयार किया है।
आइए जानते हैं दुनिया भर के देशों में क्या हैं मोबाइल डाटा की कीमतें ।
सबसे सस्ते मोबाइल डाटा वाले 5 देशों में 1 जीबी डाटा की औसत कीमत रूपये में –
भारत – 6.70 इजराइल – 8.21 किर्गिस्तान – 15.68 इटली – 32.11 यूक्रेन – 34.35
सबसे महंगे मोबाइल डाटा वाले 5 देशों में 1 जीबी डाटा की औसत कीमत रूपये में –
मलावी – 2046.96 बेनिन – 2032.77 चाड – 1742.27 यमन – 1193.38 बोत्सवाना – 1035.80
रिपोर्ट में कहा गया है कि टेलीकॉम कंपनियां भारत में बड़े डेटा पैक या अनलिमिटेड पैक जारी करती हैं। अगर भारत की तुलना में देखें तो सबसे महंगा डेटा प्लान सेंट हेलेना द्वीप में है। जहां डाटा प्लान के लिए भारत की तुलना में 583 गुना अधिक दर या 52.5 डॉलर की दर से प्रति जीबी का भाव चुकाना पड़ता है।
किन बातों पर निर्भर करती है डाटा की कीमतें –
1.नेटवर्क का बुनियादी ढ़ांचा –
जिन देशों में टेलीकॉम का बुनियादी ढ़ांचा बेहतर है वहां की सरकार लोगों को सस्ता डेटा देने सक्षम है। इस तरह के देशों में मोबाइल नेटवर्क्स फिक्स लाइन कनेक्शन पर ही भरोसा किया जाता है। इन श्रेणियों में भारत और इटली आते हैं। इसके अलांवा जहां बुनियादी ढ़ांचा नहीं है, वहां उपग्रह जैसे महंगे विकल्पों पर निर्भर होना पड़ता है, जिसका बोझ नागरिकों पर पड़ता है।
2.मोबाइल डाटा पर विश्वास –
किसी भी क्षेत्र में मोबाइल डाटा इण्टरनेट का प्राथमिक स्त्रोत होता है, इसीलिए इसका सभी लोग इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में कंपनियों में डाटा की खपत बढ़ाने को लेकर प्रतिस्पर्धा से डाटा की कीमतों में कमी आती है। किर्गिस्तान इसका एक अच्छा उदाहरण है।
3. डाटा की कम खपत –
जिन देशों में बुनियादी ढ़ांचा कमजोर है वहां डेटा की खपत कम हो जाती है। और कंपनियां भी उसी अनुसार मोबाइल प्लान भी कम डाटा की बनाती हैं। यही वजह है कि प्रति जीबी लागत ज्यादा हो जाती है। मलावी और बेनिन जैसे देशों से इसे समझा जा सकता है।
4. उपभोक्ताओं की आय –
टेलीकॉम कंपनियां धनी देशों के लोगों से डाटा के लिए ज्यादा शुल्क लेती हैं क्योंकि वहां के लोग वह शुल्क देने में सक्षम हैं। और कई बार कोई प्रतिस्पर्धी न होने के कारण एक कंपनी ज्यादा शुल्क वसूलती है। जर्मनी, स्विटजरलैंड और कनाडा जैसे देशों में प्रति जीबी डाटा की कीमतें अपेक्षाकृत ज्यादा हैं।
आखिर भारत में क्यों सस्ता है डाटा ?
साल 2015 तक भारतीय टेलीकॉम यूजर्स को मोबाइल डाटा काफी महंगा पड़ता था। लेकिन वर्ष 2016 में रिलायंस जियो के मार्केट में आने के बाद उपभोक्ताओं का बहुत फायदा हुआ। जियो के आने के बाद प्रतिस्पर्धा इतनी बढ़ गई कि बाकी टेलीकॉम कंपनियों एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया और बीएसएनएल को मजबूरन अपनी कीमतें कम करनी पड़ीं।
करीब एक वर्ष पहले केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि साल 2014 में 1 जीबी डाटा के लिए 269 रूपये देने पड़ते थे, अब उसके लिए 12 रूपये से भी कम देने पड़ते हैं।