BY- FIRE TIMES TEAM
पंजाब, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना में किसानों ने सोमवार को केंद्र के कृषि संबंधी अध्यादेशों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और मांग की कि उन्हें तुरंत वापस लिया जाए।
किसानों ने मूल्य आश्वासन और फार्म सेवा अध्यादेश पर किसानों के उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, किसानों (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता और आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन का विरोध किया जिसे संसद में मानसून सत्र में पेश किया जाएगा।
अध्यादेशों में कृषि में निजी खिलाड़ियों को शामिल करने और उपज की बाधा मुक्त बिक्री को बढ़ावा देने की मांग की गई है, लेकिन किसानों का तर्क है कि इससे कॉर्पोरेट प्रभुत्व आएगा और खेती भी आम किसान के हाथों से निकलकर कॉर्पोरेट के हाथों में चली जायेगी।
पंजाब के सैकड़ों किसान अमृतसर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर विरोध प्रदर्शन के लिए निकले। पटियाला, बरनाला, मोगा और फगवाड़ा में भी विरोध प्रदर्शन हुए।
Farmers blocked beas bridge during protest against the three agriculture ordinances introduced by Centre.
Farmers expressed their outrage over the passage of these ordinances by the Centre which they called “anti-farmer”.
(Pictures: Sameer Sehgal/Hindustan Times) pic.twitter.com/YPNLrR8JRR
— HT Punjab (@HTPunjab) September 14, 2020
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि अगर केंद्र ने अध्यादेश पारित कर दिया तो किसान बड़ी कंपनियों की “दया” पर जीने के लिए विवश हो जाएंगे।
किसान संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि किसानों के विरोध का उद्देश्य विपक्षी दलों पर कार्रवाई करने का दबाव बनाना था।
उन्होंने कहा, “हमारा विरोध केवल केंद्र सरकार को जगाने के लिए नहीं है, बल्कि विपक्षी दलों के लिए भी है, जिन्हें तीन अध्यादेशों का कड़ा विरोध करना चाहिए।”
पंढेर ने कहा, “कृषक समुदायों के 200 से अधिक सांसद हैं। उन्हें किसानों की चिंताओं का भी समर्थन करना चाहिए। यदि इन अध्यादेशों को निरस्त नहीं किया जाता है, तो हम किसी भी सांसद या नेता को गांवों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं देंगे।”
Now its farmers from Punjab….protest happening in atleast 6 districts againdt the farm ordinances….this protest from Barnala district…@ndtv pic.twitter.com/jQUMQcbh9T
— Mohammad Ghazali (@ghazalimohammad) September 14, 2020
इस बीच, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद में अध्यादेशों को आगे नहीं बढ़ाने का अनुरोध किया।
सिंह के कार्यालय ने एक बयान में कहा कि केंद्र ने उनके साथ अध्यादेशों पर चर्चा नहीं की और उन रिपोर्टों का खंडन किया जिनमें पंजाब ने उनका समर्थन किया था।
बुधवार को, सिंह को अध्यादेशों पर चर्चा करने के लिए राज्यपाल के साथ एक बैठक आयोजित करने की उम्मीद है।
तेलंगाना, यूपी में किसानों का विरोध प्रदर्शन
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के नेतृत्व में कई किसान यूनियनों ने हैदराबाद में अध्यादेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
समूहों ने कहा कि प्रस्तावित विधान “कॉरपोरेट कृषि बिल” है, जिन्हें “बड़े कॉरपोरेट्स जो भारतीय खाद्य और कृषि व्यवसाय पर हावी होना चाहते हैं” के अनुरूप बनाया गया है।
तेलंगाना राष्ट्र रायथू संघम के एक प्रतिनिधि पास्या पद्मा ने समाचार चैनल को बताया, “यह किसान हैं, जो राजनीतिक नेताओं सहित राष्ट्र को खिलाते हैं।”
उन्होंने कहा, “आज, प्रधानमंत्री किसानों को भूल गए हैं और बड़े कॉर्पोरेट्स की सेवा में हैं। किसान इन तीनों कॉर्पोरेट कृषि बिलों को स्वीकार नहीं करेंगे। हम इन मुद्दों को ग्रामीण स्तर पर किसानों तक ले जा रहे हैं।”
उत्तर प्रदेश के किसानों ने गाजियाबाद में यूपी गेट पर अपना विरोध प्रदर्शन किया।
इस बीच, हरियाणा के किसानों ने कहा कि उन्हें दिल्ली पुलिस ने जंतर मंतर जाते समय रोका।
हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष रतन मान ने अखबार को बताया, “हमें कुंडली सीमा पर रोक दिया गया। हम चाहते हैं कि सरकार यह समझे कि इन अध्यादेशों से कृषक समुदाय को कोई लाभ नहीं होगा। फलों और सब्जियों सहित सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य हासिल करने के लिए एक कानून लाया जाना चाहिए।”
राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए मोदी सरकार की आलोचना की और पीएम मोदी को किसान विरोधी कहा।
उन्होंने ट्वीट किया, “किसान ही हैं जो ख़रीद खुदरा में और अपने उत्पाद की बिक्री थोक के भाव करते हैं। मोदी सरकार के तीन ‘काले’ अध्यादेश किसान-खेतिहर मज़दूर पर घातक प्रहार हैं ताकि न तो उन्हें MSP व हक़ मिलें और मजबूरी में किसान अपनी ज़मीन पूँजीपतियों को बेच दें। मोदी जी का एक और किसान-विरोधी षड्यंत्र।”
किसान ही हैं जो ख़रीद खुदरा में और अपने उत्पाद की बिक्री थोक के भाव करते हैं।
मोदी सरकार के तीन 'काले' अध्यादेश किसान-खेतिहर मज़दूर पर घातक प्रहार हैं ताकि न तो उन्हें MSP व हक़ मिलें और मजबूरी में किसान अपनी ज़मीन पूँजीपतियों को बेच दें।
मोदी जी का एक और किसान-विरोधी षड्यंत्र।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 14, 2020
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