आलेख : बादल सरोज इन दिनों की ख़ास बात “क्या हो रहा है” नहीं है, इन दिनों की विशिष्ट पहचान या प्रभावी सिंड्रोम “अब कुछ नहीं हो सकता” का अहसास है। बड़े जतन, बड़े भारी खर्चे और योजनाबद्ध तरीके से इसे समाज के बड़े हिस्से पर तारी कर दिया गया …
Read More »आलेख : बादल सरोज इन दिनों की ख़ास बात “क्या हो रहा है” नहीं है, इन दिनों की विशिष्ट पहचान या प्रभावी सिंड्रोम “अब कुछ नहीं हो सकता” का अहसास है। बड़े जतन, बड़े भारी खर्चे और योजनाबद्ध तरीके से इसे समाज के बड़े हिस्से पर तारी कर दिया गया …
Read More »