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विनोद दुआ का बिना देखे गुज़र जाना भी याद है और देख कर तृप्त कर देना भी याद रहेगा: रवीश कुमार

जब आप बहुत नए होते हैं तो किसी बहुत पुराने को बहुत उम्मीद और घबराहट से देखते हैं। उसके देख लिए जाने के लिए तरसते हैं और उससे नज़रें चुराकर देखते रहते हैं। उसके जैसा होने या उससे अच्छा होने का जुनून पाल लेते हैं। वो तो नहीं हो पाते …

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