25 सितम्बर ‘भारत बंद’: मोदी सरकार खेती और खेत भी कारपोरेट को सौंप देना चाहती है!

 BY- संजय पराते

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और छत्तीसगढ़ के किसान संगठनों द्वारा कॉर्पोरेटपरस्त और किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ आहूत ‘भारत बंद -छत्तीसगढ़ बंद’ का प्रदेश की पांच वामपंथी पार्टियों मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा, भाकपा (माले)-लिबरेशन, भाकपा (माले)-रेड स्टार और एसयूसीआई (सी) ने समर्थन किया है।

अपने जारी एक बयान में संजय पराते, आरडीसीपी राव, सौरा यादव, बृजेन्द्र तिवारी और विश्वजीत हारोड़े ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार की छह साल की किसान विरोधी नीतियों के चलते कृषि और किसानों का संकट और विकराल हुआ है।

कोरोना काल में जब किसान और गहरे आर्थिक संकट में फंस गए हैं। तब नरेंद्र मोदी सरकार ने इन किसान विरोधी बिलों को लाकर और राज्य सभा में बिना मतविभाजन के अलोकतांत्रिक तरीके से पारित करवाया।

इससे यह साबित हो गया कि कारपोरेट कंपनियों के मुनाफों की खातिर हमारे कृषि क्षेत्र से किसानों को बेदखल कर मोदी सरकार खेती और खेत भी कारपोरेट को सौंप देना चाहती है। सरकार के इस आचरण से साबित हो गया है कि यह सरकार किसानों की नहीं, कोरपोरेट घरानों की सरकार है।

अपने बयान में वाम नेताओं ने कहा है कि ये कानून भारतीय खेती और हमारे देश के किसानों को पूरी तरह बर्बाद कर देगी, क्योंकि खेती-किसानी पूरी तरह कृषि व्यापार करने वाली कंपनियों के हाथों में चले जाएगी।

इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था और सार्वजनिक वितरण प्रणाली ध्वस्त हो जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि ये कानून हमारे देश की खाद्य सुरक्षा के लिए भी खतरा है, क्योंकि आवश्यक वस्तु की श्रेणी से अनाज, दलहन, तिलहन, आलू-प्याज को बाहर करने से इनकी जमाखोरी बढ़ेगी, कृत्रिम संकट पैदा होगा और वायदा व्यापार इन खाद्यान्नों की महंगाई में और तेजी लाएगा।

वाम पार्टियों ने कहा कि जिस अलोकतांत्रिक तरीके से इन कानूनों को पारित कराया गया है, उसके कारण देश की जनता की नजरों में इन कानूनों की कोई वैधता नहीं है और देश के किसान और नागरिक इन कानूनों का जमीनी अमल रोकेंगे।

इन काले कानूनों के तुरंत बाद खरीफ फसलों का जो न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया गया है, उससे स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने और किसानों की आय दुगुनी करने की लफ्फाजी की भी कलई खुल गई है।

वास्तव में घोषित समर्थन मूल्य किसानों की लागत की भी भरपाई नहीं करते और सरकारी मंडियों के संरक्षण के अभाव में इन फसलों की कीमतों में काफी गिरावट आएगी और कॉर्पोरेट कंपनियों के मुनाफे में उछाल लाएगी। इन किसान विरोधी काले कानूनों का वास्तविक मकसद भी यही है।

सरकार के तानाशाही आचरण और किसान विरोधी बिलों के विरोध में देश भर में चल रहे आंदोलनों का समर्थन करते हुए वाम पार्टियों ने अपनी सभी ईकाईयों को इस आंदोलन में सक्रिय हिस्सेदारी और सहयोग करने का आह्वान किया है।

वाम पार्टियों ने प्रदेश की आम जनता और संविधान की रक्षा के लिए चिंतित सभी ताकतों से भी अपील की है कि वे किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए उठ खड़े हों, क्योंकि किसानी बचाने के साथ ही यह संघर्ष लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करने का भी है।

संजय पराते- माकपा
आरडीसीपी राव-भाकपा
बृजेन्द्र तिवारी- भाकपा (माले)-लिबरेशन
सौरा यादव- भाकपा (माले)-रेड स्टार
विश्वजीत हारोड़े- एसयूसीआई (सी)

About Admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *