दोस्ती की मिसाल: याकूब ने नहीं छोड़ा आखरी समय तक अमृत का साथ


BY- FIRE TIMES TEAM


दोस्तों की बहुत सारी कहानियां आपने सुनी होगी। कई बार आपने दोस्तों को जान लुटाते देखा होगा। इस बार एक ऐसी कहानी जिसने इंसानियत की मिसाल पेश की है।

लॉकडाउन के कारण बहुत सारे मजदूरों की जिंदगी तबाह हो गई है। इसमें उन दो दोस्तों के नाम भी शामिल हैं जिनकी दोस्ती के किस्से ताउम्र लोग देंगे। इनके नाम याकूब और अमृत हैं जो गुजरात के एक कपड़ा फैक्ट्री में काम करते थे।

लॉकडाउन के कारण फैक्ट्री बंद हो गई थी जिसके बाद ये भी और मज़दूरों की तरह ही अपने घर जा रहे थे। गुजरात के सूरत से यूपी में बस्ती के लिए निकले ये दोस्त एक ट्रक में बैठ भी गए थे। इस ट्रक में और लोग भी सवार थे।

घर पहुचं जायेंगे ऐसी उम्मीद लिए दोनों दोस्त एक लंबे सफर पर निकले थे। बीच रास्ते में अचानक अमृत की तबीयत बिगड़ने लगी। ट्रक में मौजूद दूसरे साथियों को लगा कि अमृत को कोरोना है, इसलिए डर के मारे उसे वहीं उतार दिया। ऐसे हालातों में अमृत का क्या होगा किसी ने कुछ नहीं सोचा, सिवाय उसके दोस्त ‘याकूब मोहम्मद’ के।

जब ट्रक से अमृत को उतारा गया तो उसके पास केवल उसका दोस्त था याकूब। बेहोश पड़े अमृत का हौसला बढ़ाने के लिए उसका सर अपनी गोद में रख लिया। शायद वह कह रहा होगा भाई सब ठीक हो जयेगा चिंता मत कर। याकूब ने आसपास लोगों से मदद ली और उसे अस्पताल ले गया जहाँ इलाज के दौरान अमृत ने दम तोड़ दिया..

इस दोस्ती ने एकता की एक मिसाल दी है। याकूब ने ये नहीं सोचा कि अमृत किस धर्म का है, उसे कोरोनो है या नहीं या उसे भी हो जाएगा ये भी नहीं सोचा। बस दोस्ती का धर्म निभाया। फिलहाल दोनो का कोरोना टेस्ट हुआ है और रिपोर्ट का इंतज़ार है।

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भारत के धर्मनिरपेक्ष पहलू को दिखाने के लिए इससे अच्छा शायद और कोई भी उदाहरण न हो इस समय। भारत की मूल आत्मा भी यही है। जो लोग साम्प्रदायिक माहौल खराब करने की कोशिश करते हैं उन्हें भी इस दोस्ती से कुछ सीखना चाहिए।

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