अर्णब को 4 दिन में जमानत लेकिन केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को 40 दिन बाद भी नहीं?

 BY- FIRE TIMES TEAM

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को एक पत्रकार के मसले पर नोटिस जारी किया। कोर्ट ने हाथरस के रास्ते से गिरफ्तार किए गए केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन की रिहाई की मांग पर प्रतिक्रिया मांगी। पत्रकार सिद्दीक हाथरस में दलित युवती की बालात्कार के बाद हत्या को लेकर उसके परिवार से मिलने जा रहे थे।

सुप्रीम कोर्ट केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसने गिरफ्तारी को चुनौती दी है और कप्पन की रिहाई की मांग की है।

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बहस करते हुए कहा, ‘प्राथमिकी में उसके खिलाफ कोई अपराध नहीं बताया गया है। वह 5 अक्टूबर से जेल में हैं।’

सिब्बल ने अदालत को सूचित किया कि पत्रकार सिद्दीक कप्पन के लिए अंतरिम जमानत की याचिका भी दायर की गई थी। हालाँकि उनके प्रतिनिधियों को जेल में कप्पन से मिलने की अनुमति नहीं थी, इसलिए वे उसके हस्ताक्षर नहीं ले पाए।

इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबडे के नेतृत्व में की। अब इस पर शुक्रवार को सुनवाई होगी।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका क्यों नहीं दायर की गई। इस पर कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि “यह एक पत्रकार है जो 5 अक्टूबर से जेल में है। यह एक असाधारण परिस्थिति है।”

आपको बता दें कि मथुरा जिला न्यायालय ने पत्रकार समेत गिरफ्तार किए गए दो अन्य लोगों की याचिका खारिज कर दी।

अतिरिक्त जिला न्यायाधीश मयूर जैन ने अतीकुर्रहमान, आलम और मसूद की जमानत याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि आरोपियों के खिलाफ आरोप गंभीर हैं और इस मामले में उन्हें जमानत पर नहीं बढ़ाया जा सकता है जब मामले की जांच अभी भी चल रही है।

पत्रकार सिद्दीक कप्पन और तीन अन्य को मथुरा पुलिस ने 5 अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया था। वे दलित लड़की के परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए हाथरस के एक गाँव जा रहे थे। जिस लड़की के परिवार से मिलने जा रहे थे उसकी गैंगरेप के बाद इलाज के दौरान दिल्ली के एक अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी।

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