बिहार चुनाव में अब 20 दिन भी नहीं बचे हैं। सभी पार्टियां जोर-शोर से तैयारी में जुट गई हैं। हर रोज बिहार में बने गठबंधन का समीकरण बदल रहा है। कोई कभी किसी पार्टी में तो कभी दूसरी पार्टी में नजर आ रहा है।
महागठबंधन और एनडीए ने अपने सीटों के बँटवारे को लेकर सब कुछ तय कर लिया है। कुछ दल अब भी ऐसी स्थिति में हैं कि अभी भी यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि चुनाव लड़ें या न लड़ें।
इसी प्रकार की एक पार्टी है शिवसेना जो बिहार चुनाव में अपने उम्मीदवार खड़े करने पर विचार कर रही है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि उनकी पार्टी बिहार चुनाव में 50 उम्मीदवार खड़े कर सकती है।
यदि ऐसा होता है तो यह बिहार में बन रहे समीकरण में एक नया मोड़ लाने का काम करेगी। राउत के अनुसार महाराष्ट्र में सीएम उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे चुनाव प्रचार के लिए वर्चुअल रैली भी करेंगे।
बिहार में जोड़-तोड़ की चल रही राजनीति से कुछ दलों को फायदा हो रहा है तो कुछ को नुकसान। इस राजनीति का सबसे ज्यादा फायदा लोजपा को होता दिख रहा है। लोजपा भाजपा के कई नेताओं को तोडने का काम कर रही है।
दरअसल एनडीए के कारण कई सीटें भाजपा के खाते से जेडीयू में चली गईं जिससे बहुत से नेता नाराज हो गए। इसका फायदा उठाते हुए चिराग की पार्टी इन नेताओं को जेडीयू के उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव में उतार रही है।
अब तक लोजपा बीजेपी के चार बड़े नेताओं को तोड़ चुकी है। इसमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह भी शामिल हैं। 2010 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाली ऊषा विद्यार्थी भी अब लोजपा का दामन थाम चुकी हैं।
यही नहीं चार बार विधायक बनने वाले रामेश्वर चौरसिया भी भाजपा का दामन छोड़ लोजपा में चले गए हैं। ऐसे कई अन्य नेता भी हैं जो भाजपा छोड़कर अन्य पार्टियों में जाने की तलाश में हैं।
शायद यही कारण भी है कि शिवसेना अब बोल रही है कि वह 50 उम्मीदवार उतारेगी। यदि ऐसा होता है तो नुकसान एनडीए का ही ज्यादा होगा।