BY- FIRE TIMES TEAM
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार को योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि सरकार यह बताए कि अगर वो कोरोना के लिए 1 लाख बेड के इंतज़ाम का दावा करती है तो आनेवाली पीढ़ियों के लिए कुछ बेड आरक्षित क्यों नहीं रखे।
अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, “उप्र में प्रसव के लिए अस्पताल खोजते-खोजते एक गर्भवती महिला की मृत्यु अति दुखद है। सरकार यह बताए कि अगर वो कोरोना के लिए 1 लाख बेड के इंतज़ाम का दावा करती है तो आनेवाली पीढ़ियों के लिए कुछ बेड आरक्षित क्यों नहीं रखे। भाजपा सरकार ये भी बताए कि उसने अब तक कितने अस्पताल बनाए हैं?”
उप्र में प्रसव के लिए अस्पताल खोजते-खोजते एक गर्भवती महिला की मृत्यु अति दुखद है. सरकार यह बताए कि अगर वो कोरोना के लिए 1 लाख बेड के इंतज़ाम का दावा करती है तो आनेवाली पीढ़ियों के लिए कुछ बेड आरक्षित क्यों नहीं रखे. भाजपा सरकार ये भी बताए कि उसने अब तक कितने अस्पताल बनाए हैं. pic.twitter.com/ENNGL6Lyx6
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) June 7, 2020
21 मई को, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने राज्य में अधिकारियों को कोरोना वायरस रोगियों के लिए बिस्तरों की संख्या एक लाख तक बढ़ाने का निर्देश दिया था।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, राज्य में अब तक कुल 9,733 पॉजिटिव COVID -19 मामले और 257 मौतें दर्ज की गई हैं।
यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को अपने द्वारा बनाये गए अब तक के अस्पतालों की संख्या की भी घोषणा करनी चाहिए।
शुक्रवार को, सरकारी अस्पतालों सहित कम से कम आठ अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद 30 वर्षीय नीलम की मृत्यु हो गई, सभी अस्पतालों ने गर्भवती महिला को एडमिट करने से इंकार कर दिया था।
वह नोएडा-गाजियाबाद सीमा पर खोड़ा कॉलोनी की निवासी थी।
उनके पति, विजेंदर सिंह ने कहा कि नीलम, जो आठ महीने की गर्भवती थी, का इलाज शिवालिक अस्पताल में चल रहा था, लेकिन अस्पताल ने शुक्रवार को उसे एडमिट करने से इनकार कर दिया और उन्हें दूसरे अस्पतालों की तरफ रुख करना पड़ा।
सिंह ने बताया, “हम पहले ईएसआई अस्पताल गए थे। इसके बाद, हम सेक्टर 30 (चाइल्ड पीजीआई) के एक अस्पताल में गए, वहां से हम शारदा अस्पताल और फिर ग्रेटर नोएडा के सरकारी चिकित्सा विज्ञान संस्थान गए। लेकिन किसी भी अस्पताल ने मेरी पत्नी को एडमिट नहीं किया।”
उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने निजी सुविधाओं जैसे कि जेपी, गौतम बुद्ध नगर में फोर्टिस अस्पताल और वैशाली, गाजियाबाद में मैक्स में प्रवेश पाने की कोशिश की लेकिन उनसे यह कहा गया था कि वहाँ कोई बिस्तर उपलब्ध नहीं हैं।
सिंह ने कहा, “आखिरकार, उसकी एम्बुलेंस में मौत हो गई। अंत में हमें GIMS [गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज] में ले जाया गया, जहाँ उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।”
गौतम बौद्ध नगर के जिला मजिस्ट्रेट सुहास एलवाई ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं।
कोरोनावायरस महामारी के दौरान अस्पतालों में बिस्तरों की कमी की कई रिपोर्टें मिली हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा कि राजधानी के निवासियों के लिए सभी सरकारी अस्पताल और कुछ निजी अस्पताल आरक्षित होंगे।
हालाँकि, राजधानी के सभी केंद्रीय अस्पताल और विशिष्ट सर्जरी करने वाली निजी सुविधाएं देश के सभी हिस्सों के रोगियों के लिए उपलब्ध रहेंगी।