नजरिया

संघी कुनबे को भारत के मुक्ति आंदोलन के असाधारण नायक बिरसा मुण्डा की याद उनकी शहादत के 122वें वर्ष में आयी

 BY- बादल सरोज संघी कुनबे को भारत के मुक्ति आंदोलन के असाधारण नायक बिरसा मुण्डा की याद उनकी शहादत के 122वें वर्ष में आयी। अंग्रेजो से लड़ते हुए और इसी दौरान आदिवासी समाज को कुरीतियों से मुक्त कराते हुए महज 24 साल की उम्र में रांची की जेल में फांसी …

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अब ध्रुवीकरण, विभाजन और उन्माद ही भाजपा के पास इकलौता जरिया बचा है

 BY : बादल सरोज उर्दू के शायर सदा नेवतनवी साहब का शेर है कि : “अब है तूफ़ान मुक़ाबिल तो ख़ुदा याद आया हो गया दूर जो साहिल तो खुदा याद आया !!” इन दिनों यह शेर पूरी तरह यदि किसी पर लागू होता है, तो वे हैं नरेंद्र मोदी …

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अब 22 क्विंटल गेंहू की कीमत में उतना सोना आएगा जितना 1967 में 2 क्विंटल से भी कम में आ जाता था

 BY- बादल सरोज मुरैना जिले के बस्तौली गाँव के गयाराम सिंह धाकड़ को समझ ही नहीं आ रहा है कि सरसों के उम्मीद से कहीं ज्यादा अच्छे भाव मिलने के बाद भी उनका सारा बजट कैसे गड़बड़ा गया। खर्चे अभी भी पूरे नहीं हो पा रहे हैं, कर्जा अभी भी …

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मोदी जी सरकारी फैक्ट्रियां बेच ही नहीं रहे, इस पर गर्व का गरबा भी कर रहे हैं

 BY- बादल सरोज प्रचलन में यह है कि दशहरे के दिन अस्त्र-शस्त्रों की पूजा होती है। मगर जैसा कि विश्वामित्र कह गए हैं : “कलियुग में सब उलटा पुलटा हो जाता है।” वही हो रहा है। इस दशहरे पर मोदी जी हिन्दू धर्म के स्वयंभू संरक्षक मोदी जी, राष्ट्रवाद की …

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राजा महेंद्र प्रताप की वो बातें जो आपको जानना चाहिए

 BY- बादल सरोज दुनिया भर में वंश चलाने के लिए वारिस गोद लेने का रिवाज है। जो संतानहीन होते हैं या स्वयं की संतान को जन्मने के झंझट से बचना चाहते हैं, वे वारिस को गोद ले लेते हैं। मगर ब्रह्माण्ड की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा और उसका मातृ-पितृ संगठन, …

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लखीमपुर खीरी में जो जिस तरह से किया गया है, उसका एक और उद्देश्य है किसानों को उकसाना

 BY- बादल सरोज गांधी के जन्म दिवस के ठीक अगले दिन लखीमपुर खीरी में विरोध प्रदर्शन करके वापस लौट रहे किसानों को गाड़ियों से रौंदने का, निर्ममता के फ़िल्मी दृश्यों को भी पीछे छोड़ देने का, जो कांड घटा है, वह एक लम्पट अपराधी से अमित शाह का दो नंबर …

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गांधी मरते क्यों नहीं हैं..?

BY- पुनीत सम्यक यह एक यक्ष प्रश्न है जिसका आज तक उत्तर न मिल सका है,ना मिलने की उम्मीद है। 30 जनवरी 1948 के पहले भी गांधी के शरीर को मारने के अनेक प्रयास किए गए। उनकी देह को गोली मारने के बाद भी एक वर्ग उन को समाप्त करने के …

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टुकड़ों में देखने से अपनी पसंद या नापसंद के गांधी को तो ढूंढ सकते हो मगर गांधी को नहीं समझ सकते

 BY- बादल सरोज किसी भी व्यक्ति या विचार का मूल्यांकन करने का सही तरीका उसे उसके देश-काल में – टाइम एंड स्पेस में – बांधकर समझना है। गांधी को समझना है, तो उन्हें भी उस समय की परिस्थितियों के साथ जोड़कर देखना होगा। गांधी की एक मुश्किल यह है कि …

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सकल घरेलु उत्पादन नहीं, सकल फोटो उत्पादन के लिए मोदी याद किए जाएँगे: रवीश कुमार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीति ख़ास तरह की दृश्य व्यवस्था( visual order) की राजनीति है। इसके केंद्र में होना महत्वपूर्ण नहीं है। होते हुए दिखना महत्वपूर्ण है। दृश्य इतना विराट है कि उसके आस-पास लोग नज़र नहीं आते हैं। इस कड़ी में आप में 2014, 2019 में उनके शपथ ग्रहण …

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ट्रंप के बाद अब बाइडन के सामने भी गोदी मीडिया को लेकर अपमानित होना पड़ा मोदी को

“मुझे लगता है कि वे प्रेस को यहां लाने जा रहे हैं। भारतीय प्रेस अमरीकी प्रेस की तुलना में कहीं ज़्यादा शालीन है। मैं सोचता हूं, आपकी अनुमति से भी, हमें सवालों के जवाब नहीं देने चाहिए क्योंकि वे बिन्दु पर सवाल नहीं करेंगे” इस कथन को ध्यान से पढ़िए।इसके …

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