BY- FIRE TIMES TEAM
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा कि वे सुनिश्चित करें कि नाइट-विज़न और ऑडियो रिकॉर्डिंग के साथ क्लोज-सर्किट टेलीविज़न या सीसीटीवी कैमरे देश के हर पुलिस स्टेशन में लगाए जाएं।
न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने केंद्र सरकार को केंद्रीय जांच ब्यूरो, राष्ट्रीय जांच एजेंसी, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय सहित केंद्रीय एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे और रिकॉर्डिंग उपकरण को लगाने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा कि सभी कैमरों को नाइट विजन से लैस किया जाना चाहिए और इसमें ऑडियो के साथ-साथ वीडियो फुटेज भी होना चाहिए। यदि आवश्यक हो, तो साक्ष्य के लिए वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग को 18 महीने तक बनाए रखना होगा।
बार और बेंच के अनुसार, “यह कहा गया है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा एक हलफनामा दिया जाए कि जो भी उपकरण खरीदे गए हैं वो सर्वित्तम हों।”
अदालत ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी पुलिस स्टेशन के किसी हिस्से को खुला नहीं छोड़ा गया है, यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि सभी प्रवेश और निकास बिंदुओं पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं, पुलिस स्टेशन के मुख्य द्वार, सभी लॉक-अप और बाहर के वाशरूम अन्य स्थानों पर भी कैमरे लगाए जाएं।
सुदूर क्षेत्रों में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की यह ज़िम्मेदारी होगी कि वह सौर और पवन ऊर्जा सहित बिजली प्रदान करने के किसी भी तरीके का उपयोग करते हुए बिजली और / या इंटरनेट के साथ पुलिस स्टेशन उपलब्ध कराए।
अदालत ने कहा, “इंटरनेट सिस्टम जो प्रदान किए जाते हैं, वे भी होने चाहिए जो स्पष्ट वीडियो और ऑडियो प्रदान करते हैं।”
इसके अलावा, कोई भी केंद्रीय एजेंसी जो पूछताछ करती है और जिसके पास गिरफ्तारी की शक्ति है “उसी तरह से जैसे कि एक पुलिस स्टेशन में होता है” वहां भी बाकी जगहों की तरह ही सीसीटीवी लगाए जाने चाहिए जिसमें वीडियो के साथ ऑडियो रिकॉर्ड हो सके।
देश के मानवाधिकार आयोग और अदालतें हिरासत में यातनाओं और मौतों से संबंधित पुलिस के खिलाफ शिकायतों से निपटने के लिए स्टेशनों से सीसीटीवी फुटेज मांग सकते हैं।
अदालत ने कहा कि कैमरों की स्थापना की देखरेख के लिए राज्य और जिला स्तर पर एक समिति का गठन किया जाना चाहिए।
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