कहानी: युद्ध के दौरान जब पौने दो लाख भारतीयों को निकालने का अभियान शुरू हुआ

BY- PRIYANSHU

अगस्त का महीना, साल 1990…! इराक़ ने कुवैत पर हमला कर दिया। कुछ ही घंटों में कुवैत को सरेंडर करना पड़ा, उनकी फौजें भाग गई, उनका शासक भाग गया। अब कुवैत की सड़कों पर इराकी रिपब्लिकन गार्ड दिखने लगे। हर तरफ हथियारबंद फौजें छोड़ दी गई। सद्दाम हुसैन ने कुवैत को इराक में मिला लिया था।

वहां भारतीयों की संख्या पौने दो लाख थी। इनमें ज्यादातर लोग नौकरीपेशा वाले थे, कुवैत के उद्योगों में काम करते थे। इराकी गार्डों ने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। लेकिन लोग दहशत में जी रहे थे।

कुवैत से मदद की गुहार आई. चुनावी रैली में भाषणों के बजाएं भारतीय प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने रिस्पॉन्स लिया। विदेश मंत्री आइके गुजराल को जिम्मेदारी सौंपी गई।

फिर पौने दो लाख भारतीयों को निकालने का अभियान शुरू हुआ। पहले उन्हें जार्डन सीमा पर पहुंचाया गया, वहां से एयर इंडिया ने रात दिन एक करते हुए कुल 500 उड़ाने भरी। दो महीने में सभी भारतीयों को सुरक्षित वापस लाया गया। कनाडा कुमार ने इस घटना को तोड़ मडोड़ के एयरलिफ्ट फिल्म बनाई।

आज इस कठिन दौर में एयर इंडिया ने टिकट के दामों में तीन गुणा बढ़ोतरी कर दी। भारत के प्रधानमन्त्री को इससे कोई मतलब नहीं था। वो पूरी बेशर्मी के साथ उत्तरप्रदेश में चुनावी सभा कर रहे है। भांड मीडिया विश्वगुरू बता रही है। यूक्रेन में फंसे बीस हज़ार भारतीय छात्र दहशत में जी रहे है। हमनें एक कमजोर आदमी को अपना नेता चुन लिया है, इसका भारी अंजाम चुकाना होगा।

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