मजदूरों का हज़ारों किलोमीटर पैदल चलना, अन्नदाता का दिन-रात सड़कों पर विरोध करना भी ख़बर नहीं क्योंकि ख़बरदाता बिक चुके हैं: कन्हैया कुमार

 BY- FIRE TIMES TEAM

कोरोना संकट के दौरान लाखों मजदूरों ने हजारों किलोमीटर का सफर पैदल चलकर तय किया। वह भूखे, प्यासे अपने उस घर की ओर चल रहे थे जहाँ उन्हें लगता था जीवन बचाया जा सकता था।

सरकार ने लाखों करोड़ों का बजट पास किया लेकिन उसका लाभ जनता को कितना मिला यह किसी से छिपा नहीं। लोगों की हालत अभी भी सुधरी नहीं है, वह अब भी भुखमरी का शिकार हैं।

इन सब के बावजूद न तो करोडों मजदूर किसी मीडिया की हेडलाइन बने और न ही किसी टीवी चैनल ने उनपर डिबेट करना उचित समझा।

कुछ चैनल को छोड़कर कोई भी इन मजदूरों के मुद्दे को नहीं उठाना चाहता है। रवीश कुमार जैसे कुछ पत्रकार हैं जो इनपर बात करते हैं बाकी सब बॉलीवुड तक ही सीमित हो गए या यूं कहें कि कंगना, सुशान्त, दीपिका, रिया और मुंबई तक ही।

यही नहीं 25 सितंबर को किसानों ने देशव्यापी हड़ताल की और करोड़ों किसान भी सड़कों पर थे लेकिन उनको भी मीडिया ने तवज्जो नहीं दिया।

इसी को लेकर जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने मीडिया पर ट्वीट के माध्यम से तंज कसा है। उन्होंने अपने ट्वीट में मीडिया को अप्रत्यक्ष रूप से बिका हुआ बता दिया।

उन्होंने लिखा, ‘ख़बरदाता ख़रीदे जा चुके हैं। इसलिए ही देश के प्रधान का आम खाना, मोर को दाना देना, मॉर्निंग वॉक पर योगा करना भी ख़बर है।

मज़दूरों का दाने-दाने के लिए मोहताज होना, हज़ारों किलोमीटर पैदल चलना, अन्नदाता का दिन-रात सड़कों पर विरोध करना भी ख़बर नहीं है।’

आपको बता दूं कि लाखों किसानों के सड़क पर आंदोलन की खबर को अगले दिन अखबारों ने भी प्रमुखता नहीं दी। अमर उजाला जैसे कुछ अखबारों ने अपने मुखपृष्ठ पर जगह दी बाकी सब अन्य ख़बरों तक सीमित रहे।

बड़े-बड़े पत्रकार जो हर समय ट्वीट किया करते हैं वह भी किसानों के मुद्दे पर ट्वीट नहीं कर पाए। पूरे दिन वह दीपिका, ड्रग्स और बिहार चुनाव को लेकर ट्वीट करते रहे।

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