BY – FIRE TIMES TEAM
बुधवार को सरकार ने कोलकाता बंदरगाह न्यास का नाम बदलकर श्यामाप्रसाद मुखर्जी न्यास को मंजूरी दे दी। इस प्रस्ताव को मंजूरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल बैठक में मिली। प्रधानमंत्री ने कोलकाता बंदरगाह की स्थापना के 150वें जयंती के अवसर पर 12 जनवरी 2020 को कोलकाता बंदरगाह के नाम परिवर्तन की घोषणा की थी।
यह पहला मामला नहीं है कि कोलकाता बंदरगाह का नाम बदला गया है। इससे पहले भी तमाम प्रसिद्ध नेताओं के नाम से बहुत से न्यासों का नाम परिवर्तित किया गया है। जवाहर लाल नेहरू न्यास जिसका नाम पहले न्हावा शेवा बंदरगाह था, मुंबई में स्थित है। तूतीकोरिन बंदरगाह न्यास 2011 में बदलकर वी. ओ. चिदम्बरनार कर दिया गया। इसके अलांवा पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और किंगमेकर के नाम से मशहूर के. कामराज के नाम पर कामराज बंदरगाह लिमिटेड और 2017 में कांडला बंदरगाह को दीनदयाल बंदरगाह कर दिया गया।
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कोलकाता बंदरगाह के विकास के लिए सबसे पहले 17 अक्टूबर 1870 को कमिश्नर नियुक्त करके एक न्यास बनाया गया था। यह एक प्रमुख बंदरगाह होने के साथ ही नदी के किनारे स्थित देश का पहला बंदरगाह है।
आपको बता दें कि पीएम मोदी ने 12 जनवरी को ट्रस्ट के सभी रिटायर्ड कर्मचारियों के पेंशन के लिए 500 करोड़ रूपये का चेक सौंपा था। उन्होंने कहा था कि देश के तट विकास के प्रवेश द्वार हैं और हमारी सरकार ने संपर्क में सुधार के लिए सागरमाला परियोजना की शुरूआत की है।