प्रधानमंत्री का भाषण, जैसे नई बोतल में पुरानी जहरीली शराब: माकपा


BY- FIRE TIMES TEAM


मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने प्रधानमंत्री मोदी पर हकीकत को छुपाने और लफ्फाजी करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि कल रात प्रधानमंत्री का देश को संबोधन ठीक वैसे ही था, जैसे कोई नई बोतल में पुरानी लेकिन जहरीली शराब पेश कर रहा है।

जिस आत्मनिर्भर भारत को बनाने की वह बात कर रहे हैं, वह वास्तव में कॉर्पोरेटी इंडिया का निर्माण है, क्योंकि आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था के सभी बुनियादी आधारों की उन्होंने पिछले छह सालों में धज्जियां ही उड़ाई हैं और सभी क्षेत्रों में विदेशी निवेश के जरिए देश की जनता को लूटने और कॉर्पोरेटों के मुनाफा बढ़ाने के रास्ते खोले हैं।

कोरोना संकट को भी वे इस देश के संविधान और कानूनों को दफन करने और आम जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन करने के अवसर के रूप में देख रहे हैं।

आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि पहले लॉक डाऊन के बाद से आज तक कोरोना संक्रमितों की संख्या में 140 गुना तथा मृतकों की संख्या में 230 गुना वृद्धि हुई है।

इस संकट ने देश की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है, जिसे सुनियोजित तरीके से निजी क्षेत्र के हवाले किया गया है और विश्वव्यापी संकट के बावजूद दवाईयों, मेडिकल उपकरणों तथा सुरक्षा किटों को मुनाफा कमाने के लिए लगातार निर्यात करने की इजाजत दी गई है।

माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा एक ऐसा लॉलीपॉप है जिसका 1% भी 99% भारत के हिस्से में नहीं आने वाला। इस संकट से निपटने के नाम पर 12 लाख करोड़ रुपयों का जो कर्ज सरकार ले रही है, इस पैकेज के जरिए उसे कॉरपोरेटों के हवाले ही किया जाएगा।

माकपा नेता ने कहा कि राज्यों और देश के नीति-निर्धारक निकायों से सलाह मशविरा किये बिना जिस तरह अनियोजित और अविचारपूर्ण तरीके से लॉक डाउन किया गया है, उसके दुष्परिणाम देश की जनता भुगत रही है।

आज प्रवासी मजदूरों की घर वापसी सबसे बड़ी समस्या है, जो भूखे-प्यासे कई दिनों से सैकड़ों किलोमीटर लंबा रास्ता नाप रहे हैं, लेकिन उनकी सुरक्षित घर वापसी की कोई योजना सरकार के पास नहीं है।

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उन्होंने कहा कि घर वापसी की कोशिशों में लगभग 400 लोग मारे जा चुके हैं, 14 करोड़ लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा है तथा करोड़ों लोग गरीबी रेखा के नीचे आकर भुखमरी का शिकार हो रहे हैं। लेकिन इन तबकों के दुख दर्दों के प्रति प्रधानमंत्री के पास संवेदना के दो शब्द भी नहीं हैं।

माकपा नेता ने मांग की है कि सभी प्रवासी मजदूरों को बिना यात्रा व्यय लिए सुरक्षित उनके घरों तक पहुंचाया जाए, देश के सभी नागरिकों को जिंदा रहने के लिए आगामी छह माह तक 10 किलो अनाज प्रति माह दिया जाए तथा सभी गरीब परिवारों को उनकी आजीविका को हुए नुकसान की भरपाई के लिए 10000 रुपये प्रति माह की राहत सहायता उपलब्ध कराई जाए।

उन्होंने कहा कि देश के लोगों की जिंदा रहने और आजीविका की समस्या को आर्थिक पैकेज का हिस्सा बनाने की जरूरत है।

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