BY- FIRE TIMES TEAM
मजदूरों को अपने घर तक पहुंचाने के लिए सरकार ने स्पेशल ट्रेन का बंदोबस्त किया। पहले वह मजदूरी को फ्री में पहुंचाने की बात की। लेकिन फिर बीच रास्ते में मजदूरों से पैसा वसूल लिया।
दरअसल कई राज्यों की सरकारों ने यह मांग की थी कि केंद्र को स्पेशल ट्रेन चला कर मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने का काम करना चाहिए।
केंद्र सरकार इसके लिए राजी हो गई और पहली ट्रेन तेलंगाना से झारखंड के बीच चली भी। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का इसमें काफी बड़ा योगदान रहा है।
इसके बाद राजस्थान और महाराष्ट्र से भी ट्रेनें मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड के लिए रवाना हुईं। पहले ये कहा गया था कि किराया नहीं वसूला जाएगा लेकिन बाद में मजदूरों के पैसा लिया गया।
जनसत्ता की रिपोर्ट के अनुसार भोपाल पहुंचे मजदूरों से 305 की जगह 315 रुपये लिए गए। मजदूरों ने कहा पहले कहा गया था कि पैसा नहीं लिया जाएगा लेकिन बाद में उनसे वसूल लिया गया।
अब सवाल यह है कि क्या भूखे-प्यासे पैसे के अभाव में इन मजदूरों से पैसा वसूलना कितना सही है?
जबकि केंद्र सरकार ने पहले ही दिशा-निर्देश जारी किया था कि जो छह स्पेशल ट्रेनें चलेंगी उसका खर्च जिस राज्य से मंद जा रहे हैं वहां की सरकार देगी या जिन राज्यों को जा रहे हैं वहां की।
- आपको बता दें कि छात्रों और मजदूरों के लिए कुल छह ट्रेनें चलाई गई हैं। यह कुछ इस प्रकार हैं-
1- तेलंगाना के लिंगमपल्ली से झारखंड के राँची में हटिया तक
2-केरल के अलुवा से ओडिशा के भुवनेश्वर तक
3-महाराष्ट्र के नासिक से यूपी के लखनऊ
4- नासिक से भोपाल
5-जयपुर से पटना
6-कोटा से रांची
इन छह ट्रेनों से कई हजार छात्र मजदूर अपने-अपने घर तक जा सकेंगे। इसके बाद भी लाखों लोग अभी भी फंसे हुए हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी प्रदेश के मजदूरों को लाने के लिए आगे कदम उठाए हैं।