कोरोना संकट: पुलिस वालों का 50 लाख का बीमा हो सकता है तो सफाई कर्मियों का 25 लाख का क्यों नहीं?


BY- FIRE TIMES TEAM


देश में कोरोना का संकट बढ़ता जा रहा है। इसको रोकने के लिए डॉक्टर, नर्स, पुलिसकर्मियों समेत सफाई कर्मी अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं।

अनौपचारिक श्रमिकों समेत सफाई कर्मी भी उन साइलेंट समूह का हिस्सा हैं जिसपर बहुत कम बात काम होती है। बावजूद इसके ये समूह अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाते हैं।

देशभर में लाखों सफाई कर्मी हैं। हर साल सैकडों सफाई कर्मी अपनी जान गवां देते हैं। बावजूद इसके अभी भी इनके कल्याण के लिए ठोस उपाय नहीं किये गए हैं।

देश जब कोरोना महामारी से लड़ रहा है तब डॉक्टर, पुलिसकर्मियों की खूब बात हो रही है लेकिन सफाईकर्मियों पर उतना ध्यान न देना कई सवाल जहन में लाता है?

हालात ये हैं कि राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त और विकास निगम को स्थानीय निकायों को उपकरण के लिए आदेश देना पड़ रहा है। जबकि जमीनी हालात ये है कि स्थानीय निकाय इस पर बड़ा बजट खर्च करना ही नहीं चाहते।

दूसरी ओर विश्लेषक भी मानते हैं कि जब दूसरों की सुरक्षा के लिये अपने जीवन को खतरे में डालने का प्रश्न हो तो सफ़ाई कर्मचारियों को भी डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों और पुलिसकर्मियों के समान ही देखना चाहिए।

इसके बावजूद सरकार व आम लोगों के द्वारा इन्हें अनदेखा किया जा रहा है। इनके लिए न तो कोई विशेष बजट का प्रावधान किया गया है और न ही पर्याप्त बुनियादी सुरक्षा के उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं।

दूसरी ओर कोरोना संकट में सुविधा देने वाले अन्य कर्मचारियों, डॉक्टरों के लिए बीमा का भी प्रावधान किया गया है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पुलिस कर्मचारियों के लिए 50 लाख के जीवन बीमा का प्रावधान किया है। क्या सफाई कर्मचारी के लिए बीमा नहीं हो सकता था?

अब यदि सफाई कर्मचारी कोरोना वायरस से संक्रमित होते हैं तो उनको अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं और बीमा जैसी अनिवार्य आवश्यकताओं की कमी का सामना करना तो पड़ेगा ही? तो इसको ऐसे समझा जाये कि इनके जीवन का कोई मूल्य नहीं बचा है क्या?

आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि पिछले तीन साल में सीवर की सफाई के दौरान कुल 271 लोगों की जान चली गई और इनमें से 110 मौतें केवल 2019 में हुई।

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