BY- FIRE TIMES TEAM
कैलाश मानसरोवर की यात्रा हिन्दू, बौद्ध, जैन तथा बोन धर्मों में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। बोन लोग ज्यादातर तिब्बत में रहते हैं जो बौद्ध धर्म से अपने को अलग मानते हैं। कैलाश पर्वत को इन सभी धर्मों में पवित्र माना जाता है।
हिन्दू धर्म में भगवान शिव के निवास के रूप में इस पर्वत को जाना जाता है। हिन्दूओं द्वारा कैलाश पर्वत को पृथ्वी का केंद व स्वर्ग की अभिव्यक्ति माना जाता है।
हर साल लाखों की संख्या में भारतीय इस पर्वत की चढ़ाई करते हैं। लेकिन इस पर्वत के रास्तों के सीमित होने के कारण काफी मसक्कत करनी पड़ती है। परेशानी का दूसरा कारण इस पर्वत का चीन की सीमा में होना भी है।
भारत के रक्षा मंत्री ने इस पर्वत की चढ़ाई को आसान बनाने के लिए एक 80किमी की सड़क को देश के लोगों को समर्पित किया है। यह सड़क लिपुलेख दर्रे से होकर जाएगी जिससे यात्रा की न केवल दूरी कम होगी बल्कि काफी आसान भी हो जाएगी।
आपको बता दें कि लिपुलेख दर्रा 17000 फ़ीट की ऊँचाई पर भारत-चीन-नेपाल के त्री-जंक्शन पर स्तिथ है। इसका मतलब अब नए मार्ग से यात्रा करने के लिए उत्तराखंड से होकर जाना पड़ेगा।
इस सड़क को बनाने का खर्चा भारत-चीन-बॉर्डर रोड़ द्वारा उठाया गया है। यह सड़क वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब किया गया है जहां से काली नदी भी बहती है।
2005 में इस सड़क को मंजूरी मिलने के बाद इसका निर्माण 2022 तक पूरा करने का मसौदा तैयार हुआ था। साल 2018 में इस सड़क के लिए 439.40 करोड़ रुपये निर्धारित किये गए थे।
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इस सड़क से फायदा क्या होगा?
इस सड़क के निर्माण से पुराने रुट की तुलना में कैलाश पर्वत की दूरी करीब पांच गुना कम हो जाएगी।इसका मतलब कम समय में और कम दूरी तय करके कैलाश पर्वत पर जाया जा सकेगा। इसके अलावा यह मार्ग पूरी तरह से सड़क का है, इसमें किसी भी प्रकार की कोई हवाई यात्रा शामिल नहीं है।
इस मार्ग के निर्माण से यात्रा का ज्यादातर हिस्सा भारत जो कि करीब 84% है तथा 16% हिस्सा ही चीन की सीमा में है। जबकि अन्य मार्गों में लगभग 80% हिस्सा चीन में आता है।
इस मार्ग का एक अन्य महत्वपूर्ण लाभ यह होगा कि इससे लगभग यात्रा वाहन से की जा सकेगी केवल 5 किमी ही पैदल चलना होगा।
कैलाश मानसरोवर यात्रा के मार्ग:
- सिक्किम मार्ग- इसके लिए पहले दिल्ली से 1115 किमी दूर बागडोगरा (पश्चिम बंगाल) जाना पड़ता है फिर 1665 किमी की दूरी सड़क से और फिर 43 किमी पैदल चलकर परिक्रमा पूरी की जाती है।
- काठमांडू मार्ग- पहले दिल्ली से काठमांडू के लिए 1150 किमी हवाई यात्रा फिर 1940 किमी की सड़क यात्रा फिर 43 किमी की पैदल यात्रा की जाती है।
- लिपुलेख दर्रे से- सबसे पहले दिल्ली से पिथौरागढ़ तक 490 किमी की सड़क यात्रा फिर पिथौरागढ़ से घटिबगढ़ 130 किमी की सड़क यात्रा। यहाँ से लिपुलेख तक 79 किमी की पैदल यात्रा। इसके बाद चीन मेंं पहले 5 किलोमीटर पैदल फिर 97 किमी सड़क मार्ग से। इसके बाद 43 किमी की सड़क मार्ग से पैदल परिक्रमा।