BY – FIRE TIMES TEAM
इस कोरोना काल में यूपी सरकार नित-नए प्रयोग कर रही है। कोरोना संकट के मद्देनजर राज्य सरकार ने प्रदेश में अगले 6 महीने के लिए हड़ताल पर रोक लगा दी है। उत्तर प्रदेश की सरकारी सेवाओं और निगमों में आवश्यक सेवा रख-रखाव अधिनियम (एस्मा ) लगाकर योगी सरकार ने हड़ताल को निषिद्ध कर दिया है। अब कोई भी अधिकारी व सरकारी संगठन अपनी मांगों को लेकर 6 महीने तक हड़ताल नहीं कर सकेगा।
उत्तर प्रदेश आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम, 1966 की धारा 3 की उपधारा 1 के अधीन शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्यपाल ने 6 माह की अवधि के लिए हड़ताल पर प्रतिबन्ध लगाया है।
सरकार ने क्यों लगाया एस्माः –
माना जा रहा है कि सरकार ने कोरोना को देखते हुए वित्तीय संकट से उबरने के लिए अधिकारियों-कर्मचारियों को दिए जाने वाले भत्ते में कटौती का फैसला किया है।
यह फैसला भत्तो में कटौती के बाद कुछ सरकारी संगठनों के आक्रोश और आंदोलन की चेतावनी के मद्देनजर लिया गया है। इस संबंध में उत्तर प्रदेश के कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव मुकुल सिंहल ने शुक्रवार को अधिसूचना जारी कर दी है।
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आपको बता दें कि यूपी सरकार एस्मा पहली बार लागू नहीं कर रही है। इससे पहले 2019 में लोकसभा चुनाव और बोर्ड की परीक्षा को कारण बताकर योगी सरकार ने एस्मा लगाया था। 2018 में बिजली कर्मचारियों पर एस्मा लगा था।
एस्मा एक्ट देश के तमाम राज्य आवश्यकतानुसार लगाते रहे हैं। जब भी कोई हड़ताल होती है तो एस्मा जिक्र आ ही जाता है।
क्या है एस्मा –
आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (ESMA – The Essential Services Maintenance Act ) हड़ताल या आंदोलन को रोकने के लगाया जाता है। एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को किसी समाचार पत्र या अन्य किसी माध्यम से सूचित किया जाता है। एस्मा अधिकतम 6 महीने के लिए लगाया जाता है।
एस्मा लागू होने के बाद यदि कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो उसे एक साल की सजा या जुर्माना या सजा और जुर्माना दोनों हो सकती है। एस्मा लागू होने पर पुलिस को यह अधिकार मिल जाता है कि वह कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है।