BY – FIRE TIMES TEAM
आपने नेताओं के वेतन, भत्तों और अन्य सुविधाओं को बढ़ाने के लिए संसद भवन और देश के विधान भवनों में बिल पास होते हुए जरूर देखा होगा। लेकिन इसके उलट संसद के मानसून सत्र में सांसदों के वेतन कटौती से सम्बन्धित बिल मंगलवार को लोकसभा में पास हो गया। संसदीय मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी ने इसे संसद में पेश किया था।
सरकार ने कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए संसद सदस्य वेतन भत्ता एवं पेंशन (संशोधन ) विधेयक, 2020 को लाने का फैसला किया जिसका ज्यादातर सदस्यों ने समर्थन किया। और इसके साथ ही सांसदों ने सरकार से मांग की है कि सांसद निधि में कटौती न की जाए।
इस बिल के पास होने के बाद 1 साल तक सांसदों के वेतन में 30 फीसदी तक कटौती होगी। इसके अलांवा सांसद निधि को भी 2 साल तक के लिए स्थगित कर दिया गया ।लोकसभा में चर्चा के दौरान सांसदों ने सांसद निधि को स्थगित किये जाने के फैसले पर आपत्ति जताई।
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता कल्याण बनर्जी ने कहा कि सरकार चाहे तो हमारी पूरी सैलरी ले ले, कोई भी सांसद इसका विरोध नहीं करेगा। लेकिन सांसद निधि पूरी मिलनी चाहिए, क्योंकि इससे हम लोगों के कल्याण के लिए काम करते हैं।
वहीं आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान ने कहा कि हमारी 60 फीसदी सैलरी ले लें। लेकिन सांसद निधि को रोकने का कोई कारण नहीं बनता। हमारे क्षेत्र के जिन लोगों ने टैक्स दिया है बदले में क्षेत्र के विकास के रूप में उन्हें लौटाना होगा।
इस बिल के पास होने से कितने पैसों की बचत होगी इसका अनुमान हम सांसदों की संख्या से लगा लेते हैं। संसद के सदनों में 790 सांसदों ( 545 लोकसभा में और 245 राज्यसभा में ) की व्यवस्था है। लेकिन मौके पर लोकसभा में 542 सदस्य और राज्यसभा में 238 सदस्य हैं। इस तरह कुल 780 संसद सदस्य हैं।
और अब 780 सांसदों के वेतन से 30 फीसदी कटौती होने पर हर महीने 2 करोड़ 34 लाख की बचत होगी। इसके अलांवा हर सांसद को सांसद निधि के तौर पर हर साल 5 करोड़ रूपये मिलता है। जो कि 2 साल तक के लिए रोक दिया गया है।