BY- FIRE TIMES TEAM
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने मंगलवार को यह मानते हुए कहा कि अभी तक निश्चित रूप से यह नहीं कहा जा सकता है कि प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल COVID-19 के इलाज के लिए किया जा सकता है।
इस प्रक्रिया में एक COVID-19 रोगी जो बीमारी से उभर चुका है उसके रक्त प्लाज्मा का इस्तेमाल अन्य रोगियों को सही करने में किया जाएगा।
प्लाज्मा थेरेपी भारत में अभी प्रायोगिक चरण में है।
पिछले हफ्ते, दिल्ली में चार COVID-19 रोगियों पर प्लाज्मा थेरेपी का परीक्षण किया गया था।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि परिणाम सकारात्मक थे और उम्मीद जताई कि प्लाज्मा थेरेपी गंभीर रूप से बीमार रोगियों को बचाने में मदद कर सकती है।
सेंट्रल की प्रेस वार्ता में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, “इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने स्पष्ट रूप से कहा है कि COVID -19 रोगियों को सही करने की कोई ऐसी थेरेपी नहीं हैं, जिसमें प्लाज्मा थेरेपी भी शामिल है।”
उन्होंने कहा, “प्लाज्मा थेरेपी उन उपचारों में से एक है, जिसपे प्रयोग किया जा रहा है। हालांकि, अभी तक इसका इलाज के रूप में समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं है।”
अग्रवाल ने कहा कि आईसीएमआर प्लाज्मा थेरेपी की प्रभावशीलता का अध्ययन कर रहा था।
लव अग्रवाल ने कहा, “जब तक प्लाज्मा थेरेपी की प्रभावशीलता को साबित करने के लिए कोई मजबूत वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, तब तक हम इसका इस्तेमाल केवल अनुसंधान और परीक्षण के लिए कर सकते हैं।”
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उचित दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया जाता है तो यह प्रक्रिया “जीवन के लिए खतरनाक” परिणाम पैदा कर सकती है।
प्रेस वार्ता में, अग्रवाल ने कहा कि भारत का COVID -19 रिकवरी रेट अब 23.3% है और मामलों की संख्या की दोगुनी दर में भी सुधार हुआ है।
अग्रवाल ने कहा, “दोहरीकरण दर, जो लॉकडाउन से पहले लगभग 3.5 थी, वर्तमान में लगभग 10.2 है।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों का हवाला देते हुए, अग्रवाल ने कहा कि 20 देश जिनकी संयुक्त जनसंख्या भारत के बराबर है, वहां COVID -19 के 84 गुना अधिक मामले हैं।
उन्होंने कहा कि देशव्यापी लॉक डाउन और रोकथाम के उपाय कारगर साबित हुए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मंगलवार शाम के अपडेट के मुताबिक, भारत में कोरोनोवायरस के मामलों की संख्या बढ़कर 29,974 हो गई है।
COVID-19 की वजह से देश में 937 लोगों की मौत हुई है।