जी हां सोसायटी प्रोग्रेसिव हो चुकी है। सब साथ-साथ रहने लगे हैं। अब कास्ट नही है, है भी तो केवल लाभ लेने के लिए, रिज़र्वेशन का फायदा उठाने के लिए अन्यथा तो जाति खत्म हो चुकी है।
ऐसा कहते हुये आप बहुतायत अभिजात्य महापुरुषों को सुनते होंगे लेकिन उनके अंदर कितनी नफरत है इस जाति को लेकर, नित्य ऐसी घटनाओं के घटित होने पर जैसी बीकानेर में घटित हुई है कि खड़ी-खड़ी मूंछें रखने पर एक दलित की गोली मारकर हत्या कर दी गयी है, स्पष्ट हो जाता है।
17 सितंबर 2020 को समाचार पत्रों में छपी खबर के मुताबिक राजस्थान राज्य के बीकानेर जनपद के श्रीगंगानगर के फतोही गांव के प्रदीप कुमार ने खूब खड़ी-खड़ी मूंछे रखी थीं। वह दलित समाज के मेघवाल समुदाय का था जिस नाते मनुवादी लोग चाहते थे कि वह ऐसी तनी हुई व खड़ी-खड़ी मूंछें न रखे।
प्रदीप कुमार मूंछो के सवाल पर झुकने को तैयार न थे लिहाजा उन्हें मारने-पीटने के बाद मूंछ रखने से कुपित लोगों ने गोली मारकर हत्याकर दी। पुलिस ने दो नाबालिग सहित तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।

बड़ा अजीब है यह जाति जो पूरा ड्रेस कोड, ह्यूमन बॉडी कोड बनाये हुये है। आप यदि हिन्दू हैं तो इस ड्रेस/बॉडी कोड को आपको फॉलो करना ही होगा अन्यथा अवसर मिलते ही इनका जजमेंट मनु विधान के अनुसार आपको प्राप्त हो जाएगा जिसमे प्रदीप कुमार की तरह गोली भी खानी पड़ सकती है।
ये कुटिल लोग कहते हैं कि अब जाति कहाँ है लेकिन सोचिए बालिग तो बालिग, नाबालिग भी जाति को कितनी शिद्दत से महसूस कर रहा है कि वह गोली मारकर जेल जाने को तैयार है लेकिन हजारों वर्ष के जातीय इंतजाम को विच्छिन्न करने को तैयार नहीं है।
यह जाति जाने वाली नहीं है क्योंकि यह हमारे जीन में घुसी हुई है। समाज चाहे जितना न विकसित होने का दावा कर ले लेकिन यह जाति है कि जाने को तैयार नहीं। दुःखद भाई प्रदीप जी!असमय ही इस जाति ने आपको हम सबसे छीन लिया।
प्रो. इंद्रभूषण प्रताप के फेसबुक आईडी से साभार