ज्यादा दिन नहीं हुए जब भारत के समाचार चैनल दिन रात सिर्फ जमातियों की रट लगाए रहते थे। सुबह से शाम तक वह सिर्फ यही दिखाते थे कि कैसे जमातियों ने भारत में कोरोना फैलाया है।
टीवी चैनलों ने जमातियों को दोषी ठहराने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। इसमें उनका साथ बीजेपी नेताओं के साथ-साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री ने भी दिया।
तबलीगी जमातियों पर मुकदमों का एक दौर भी शुरू किया गया। न केवल देश के बल्कि विदेशी लोगों पर भी जमकर एफआईआर हुई। दिल्ली सरकार ने इसकी इजाजत भी बिना किसी जांच के दे दी थी।
अब इन्हीं जमातियों को लेकर दिल्ली की एक अदालत ने फैसला सुनाया है। इस फैसले के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक झटका जरूर लगा होगा।
दरअसल दिल्ली की एक अदालत ने 36 विदेशी जमातियों को जिनपर कोरोना महामारी के मद्देनजर जारी सरकारी दिशानिर्देशों की अवहेलना करने को लेकर मुकदमा दर्ज किया गया था बरी कर दिया गया है।
तब्लीगी जमात के 900 से अधिक सदस्यों पर मार्च में वीजा की शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था जब अधिकारियों ने निजामुद्दीन मरकज को कोरोना हॉटस्पॉट घोषित किया था। उन पर मिशनरी गतिविधियों में शामिल होने और कोरोनावायरस पर सरकार के दिशानिर्देशों की अवज्ञा करने का भी आरोप लगाया गया था।
दिल्ली की एक अदालत ने आठ तबलीगी जमातियों को पहले ही बरी कर दिया था। यही नहीं इसी साल अक्टूबर में मुंबई की एक अदालत ने 20 विदेशी जमातियों को आरोप मुक्त किया था। तब घृणा फैलाने वाले टीवी एंकरों और अरविंद केजरीवाल को झटका लगा था।
इस साल अगस्त में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस्लामिक संगठन के सदस्यों के खिलाफ दायर एफआईआर को खारिज कर दिया था और मुसलमानों के साथ दुर्व्यवहार करने के लिए एक निरंतर अभियान चलाने के लिए सरकार और मीडिया के खिलाफ तीखी टिप्पणियां की थीं।