नजरिया

आखिर सीबीएसई को मशहूर जनवादी शायर फैज अहमद फैज से क्या नाराजगी है?

BY – राजेन्द्र शर्मा ये लो, कर लो बात। अब मोदी के विरोधियों को सीबीएसई के पढ़ने वाले बच्चों का बोझ कम करने में भी आब्जेक्शन हो गया। कह रहे हैं कि दसवीं के सामाजिक विज्ञान के पाठ में से फ़ैज़ साहब को क्यों निकाल दिया। उधर हिंदी वाले चीख-पुकार …

Read More »

सिर्फ दुकानों-घरों पर ही नहीं; बुलडोजर संविधान और कानून पर भी चल रहा

आलेख : बादल सरोज वैसे तो भाजपा राज में साम्प्रदायिकता की नफरती मुहिम की रफ़्तार कभी धीमी नही हुई, मगर इस बीच इसमें अचानक कुछ ज्यादा ही तेजी आई है। उत्तरप्रदेश सहित पांच प्रदेशो के विधानसभा चुनावो में जीतने के बाद तो जैसे आरएसएस और भाजपा ने अपने सारे भेड़िये …

Read More »

संविधान कितना भी अच्छा बना लें, इसे लागू करने वाले अच्छे नहीं होंगे, तो यह भी बुरा साबित हो जाएगा: अम्बेडकर

आलेख : बादल सरोज डॉ. अम्बेडकर संविधान निर्माता माने जाते हैं। सिर्फ संविधान निर्माता नहीं थे डॉ. अम्बेडकर, निस्संदेह वे ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन थे और विराट बहुमत से चुने गए थे। संविधान में उनकी विजन नजरिये का महत्वपूर्ण योगदान है, किन्तु उन्हें यहीं तक सीमित रखना उनके वास्तविक रूप …

Read More »

देश बड़ी तेजी से सांप्रदायिकता की खाई में लुढ़क रहा जिससे कई पीढियां बर्बाद हो सकती हैं

आलेख : राजेन्द्र शर्मा विक्रमी संवत के नव-वर्ष के हिंदू नव वर्ष होने के दावे के साथ, निजी तौर पर तो नहीं, पर सोशल मीडिया पर बधाई संदेशों की जैसी बाढ़ इस बार देखने को मिली, इससे पहले कभी देखने को नहीं मिली थी। गांधी के बंदर बनकर, हर बुराई …

Read More »

किस्तों में बढ़ाने के लिए मोदी जी का धन्यवाद; पिछले 15 दिन में पेट्रोल के दाम 9 रुपए 20 पैसे बढ़ गए हैं

BY: राजेंद्र शर्मा हम पूछते हैं कि ये मोदी जी के विरोधी और कहां तक गिरेंगे! बताइए, मोदी जी के विरोध में एकदम अंधे ही हुए जा रहे हैं। विरोध के अंधे को सिर्फ काला ही काला नजर आता है। रौशनी दिखाई ही नहीं देती है। अब मोदी जी ने …

Read More »

हर बीते दिन के साथ भाजपा सरकार का झूठा और किसान विरोधी चेहरा बेनक़ाब ही हुआ है

आलेख : विक्रम सिंह हमारे देश में एक बहुत ही प्रचलित कहावत है ‘चोर चोरी से जाए पर हेरा फेरी से नहीं’। ऐसा ही कुछ हाल केंद्र में भाजपा सरकार का है। हालाँकि सरकार की कारगुज़ारी इस कहावत से कहीं गहरी, सोची-समझी और योजनाबद्ध है, केवल आदतन नहीं है। कॉर्पोरेट …

Read More »

फिल्में समाज का आईना, पर किसके समाज का आईना?

BY- FIRE TIMES TEAM फिल्में भी समाज का आईना और संस्कृति का प्रचार करने वाला माध्यम है। जिसमें एक शोषित वंचित समाज जब अपने अत्याचारों की गाथाओं को फ़िल्मों के माध्यम से उस समाज में लाना चाहता है जहां उस पर अत्याचार करने वाला बहुसंख्यक समाज के नाम पर तथाकथित स्वघोषित …

Read More »

सिवाय राजनीति, आठ साल में मोदी सरकार ने ही कश्मीरी पंडितों को क्या दे दिया?

BY-राजेन्द्र शर्मा ये जो मोदी जी के विरोधी हर चीज में गांधी जी को घुसा देते हैं, ये बात बिल्कुल भी ठीक नहीं है। अब बताइए, कहां कश्मीर फाइल्स को देखकर और उससे भी ज्यादा बिना देखे बह रहे आंसू और कहां गांधी जी- क्या कोई कनेक्शन है। पर मोदी …

Read More »

विश्लेषण: नीतीश कुमार अपने साथियों को रौंदकर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे

BY- RAHUL KUMAR GAURAV बिहार राज्य में अगर मुख्यमंत्रियों की जिक्र होगी तो अग्रिम लिस्ट में लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार का नाम आएगा। हालांकि इन दोनों की राजनीतिक सफलता और असफलताओं के बीच का रास्ता बेहद संघर्षशील रहा। हम आपको लालू और नीतीश की राजनीति के चंद बारीकी अंतर …

Read More »

दलित समाज को सोचना पड़ेगा आखिर उनके पिछड़ेपन का मूल कारण क्या है?

BY- VIRENDRA KUMAR उत्तर प्रदेश के दलितों का खासकर चमारों का मन चेतन इस स्तर तक गुलामी से भरा हुआ है, इसी वजह से इतिहास में वह लोग सवर्णो की गुलामी किए और अभी वह मायावती की गुलामी कर रहे हैं। अगर आप मायावती पर प्रश्न उठा दो, तो वो लोग …

Read More »