धूप में खड़ी बाइक पर बैठकर देखें, ग्लोबल वार्मिंग की सच्चाई समझ आ जाएगी!

BY- PUNIT MISHRA

मुझे लग रहा है बात अब पेड़ लगाने से आगे निकल चुकी है, अब सिर पर बालों की जगह परमानेंट छतरी ट्रांसप्लांट करने का समय आ गया है। ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी सच्चाई है जिसे नकारा नहीं जा सकता।

एक जमाने में सूरज के बाद मरक्यूरी और वीनस हुआ करते थे, वो गल चुके शायद, अब सीधे पृथ्वी ही है। सुबह 7 बजे ही बाहर निकलते टैन हो रहा है मानव, दोपहर तक तो ट्वेल्व थरटीन हो चुका होता है।

हर साल लगता है इस साल गर्मी ज़्यादा है, पर इस साल वाकई गर्मी ज़्यादा है और अभी जून नहीं आया है। हर साल मई और जून में ही भीषण गर्मी का अहसास होता है लेकिन इस साल मार्च से ही सूरज के मिजाज कुछ अलग नजर आने लगे थे।

फेसबुक और इंस्टाग्राम पर ट्रांज़िशन रील्स तक में मैं देख रहा हूँ, बच्चे पाउडर उड़ा कर कपड़े बदलने में डर्मी कूल का इस्तेमाल कर रहे हैं, साउथ दिल्ली की कन्याएं भी इस समय घुटने तक बूट्स नही पहन रही हैं, जैकेट भी फर वाली एक ही पहन रहीं हैं, ये सारे संकेत ठीक नही है।

यह सब संकेत काफी है बताने के लिए की गर्मी इस साल भीषण है, जल्द कुछ न किया गया तो अगले साल भी यह पोस्ट करनी पड़ सकती है। पेड़ लगाने तो बहुत समय लग सकता है, मुझे लगता है दो- दो ठंडी बियर लगा लेना इस समय ठीक रहेगा।

ग्लोबल वार्मिंग सच्चाई है, इसे नकारा नहीं जा सकता। धूप में खड़ी मोटरसाकिल पर बैठ कर, हमें प्रयत्न करना होगा के ज़्यादा से ज़्यादा लोग आगे आएं और दोस्तों को बियर पिलाएं।

समाज बना है सम याने के “कुछ” और माज याने के “मजे” से, मतलब कुछ लोगों के मजे को ही समाज कहा जाता है, और बाकियों का ये उत्तरदायित्व है के वे इन कुछ लोगों के मजे का प्रबंध करते रहें।

यह भी पढ़ें- आखिर सीबीएसई को मशहूर जनवादी शायर फैज अहमद फैज से क्या नाराजगी है?

Follow Us On Facebook Click Here

Visit Our Youtube Channel Click Here

About Admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *