BY- RAHUL KUMAR GAURAV
इसके पहले कि सोशल मीडिया फ़ेक न्यूज़ यूनिवर्सिटी के सेल्फ़ अप्पोईंटेड वाइस चांसलर्स हमारी नई पीढ़ी को पूरी तरह से गुमराह करें, हमें उन्हें ये बताना चाहिए कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेहरू और गांधी से पॉलिटिकल डिफ़्रेन्सेज़ भले रहे हों, लेकिन नेताजी के मन में हमेशा नेहरू और गांधी के लिए सम्मान रहा है।
नेताजी ने अपनी इंडियान नैशनल आर्मी में 4 यूनिट्स या रेजीमेंट्स बनाई थीं जिनके नाम क्रमशः गांधी, नेहरू, मौलाना आज़ाद और महिलाओं की रेजिमेंट का नाम रानी लक्ष्मी बाई रेजिमेंट रखा था।
उनकी INA का motto था “इत्तिहाद, ऐतमाद और क़ुर्बानी” यानि एकता, विश्वास और शहादत”। उन्होंने INA का जो कैलेंडर बनवाया था उसमें भी सबसे पहले और सबसे ऊपर अपने साथ नेहरू और मौलाना आज़ाद की तस्वीरें छपवाईं थीं।
नेहरू ने लाल क़िले से जो पहला भाषण दिया था उसमें उन्होंने सिर्फ़ और सिर्फ़ दो व्यक्तियों के नाम लिए थे, पहले थे गांधी और दूसरे थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस। ये जो लोग ये कहते हैं कि नेहरू नेताजी से नफ़रत करते थे, उनकी जासूसी करवाते थे।
उनमें से आजतक इतने सालों तक उनकी सरकार रहने के बावजूद इस बात का कोई सबूत नहीं दे पाए हैं, और बाक़ी बातों की तरह ये बात भी कोरी अफ़वाह साबित हुई है…
एक आख़िरी बात, Whatsapp के ग्रूप्स में, ट्विटर के बिना असली नाम वाले और फ़र्ज़ी फ़ोटोज़ वाले हैंडल्ज़ आपको पिछले आठ सालों से यही झूठ बार बार बोल रहे हैं। साथ में इस बात के लिए भड़का रहे हैं कि इतिहास की किताबों में सिर्फ़ गांधी नेहरू का ज़िक्र है।
इन हीरोज़ का योगदान नहीं पढ़ाया जाता तो आप ख़ुद सोचिए, हम सबके बचपन में किस स्कूल के सिलेबस में नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, अश्फ़ाक, राजगुरु, झाँसी की रानी, महाराणा प्रताप, शिवाजी जैसे हमारे महान इतिहास पुरुषों का वर्णन नहीं रहा हैं।
हमें सब पढ़ाया गया है, सबका योगदान बताया गया है…देश के लिए लड़ने वालों का भी और देश के ग़द्दारों का भी, लेकिन कुछ लोग बहुत चाह कर भी अपने पूर्वजों का कोई योगदान नहीं बता पा रहे इसीलिए दूसरों के पूर्वजों में से ही किसी के चाचा ताऊ को अपना बता रहे और उनमें झगड़ा करवाने की कोशिश कर रहे हैं।
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