BY- RAHUL KUMAR GAURAV
कर्नाटक के शीमोगा ज़िले के 23 वर्षीय युवक हर्षा की हत्या हो गई है, हर्ष बजरंग दल का कार्यकर्ता था और उसकी हत्या के पीछे हिजाब विवाद को बताया जा रहा है, जिस पर हर्ष काफ़ी मुखर होकर लगातार सोशल मीडिया और ज़मीन पर सक्रिय था।
एक युवक की हत्या से ज़्यादा दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बात क्या हो सकती है, इसे किसी भी आधार पर सही नहीं ठहराया जा सकता और न ही इसका बचाव किया जा सकता है। जो भी इस हत्या के पीछे हैं उन्हें जल्द से जल्द सजा मिलनी ही चाहिए।
लेकिन आप एक बात ठंडे दिमाग़ से सोचिए, अगर कोई अन्य धर्म का व्यक्ति या आपके ही धर्म का व्यक्ति देश के क़ानून का पालन नहीं कर रहा या उसका उल्लंघन कर रहा है या वो अपने धार्मिक मान्यताओं को संविधान के ऊपर तरजीह दे रहा है, तो इस पर कार्यवाही करना या संविधान का पालन कराना सरकारों का काम है या आम जनता का?
क्यों ये युवक राजनीतिक पार्टियों का मोहरा बन रहे हैं? क्या सरकारें क़ानून को लागू कराने में सक्षम नहीं हैं? क्या सरकारों ने जनता से मदद की अपील की है?
ऐसे कोई भी विवाद जो धर्म और क़ानून के बीच हैं उनके समाधान के लिए ही तो इस देश में सरकारें हैं, कार्यपालिका है न्यायपालिका है…तो फिर आम जनता क्यों सब कुछ जानते बूझते राजनीतिक पार्टियों के उद्देश्यपूर्ति का टूल बन रही है।
ऐसे विवाद पैदा करके, उन्हें और हवा देकर कोई विधायक बन जाएगा, कोई सरकार बना लेगा लेकिन उन परिवारों का क्या जिनके घर के युवा भावावेश में या मूर्खता में अपनी जान गँवा बैठते हैं…उनके पास तो ज़िंदगी भर रोने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा, और वो नेता तो इन युवाओं की चिताओं पर भी अपनी रोटी सेंक कर निकल लेंगे।
काश इस देश का युवा इस बात को समझे, क़ानून का पालन कराना हमारी नहीं सरकार की ज़िम्मेदारी है।
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