BY-PRIYANSHU
दिल्ली, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, गोवा, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमांचल, राजस्थान… ये वो राज्य है जहां कांग्रेस मज़बूत स्थिति में है, यहां कांग्रेस का भाजपा से सीधा मुकाबला होता है..! इन राज्यों में क्षेत्रीय दलों की संख्या न के बराबर है, कुछ है भी तो कमज़ोर स्थिति में है।
आम आदमी पार्टी इन सभी राज्यों में चुनाव लड़ रही है। खुद को विकल्प बनाने के लिए लगातर भाजपा को फायदा पहुंचा रही है। केजरीवाल की मौकापरस्ती उन्हें वहीं लेकर जाती है जहां चुनावी स्टंट किया जा सके, कांग्रेस का वोट काटा जा सके, भाजपा को फायदा पहुंचाया जा सके। कांग्रेस मुक्त भारत के लिए भाजपा भी लगातर इन्हें अपने पसंदीदा राज्यों में स्पेस दे रही है।
केजरीवाल बंगाल और बिहार में चुनाव नहीं लड़ते, यूपी, महाराष्ट्र और झारखंड में कुछ गिने चुने सीटों पर उम्मीद्वार उतारते है, तमिलनाडु, केरला, आंध्रा जैसे राज्यों में इनकी रुचि नहीं है… रुचि है भी तो भीख देने वाला कॉरपोरेट इन्हें संगठन बनाने की इजाज़त नहीं देता।
वही स्थिति ओवैसी की है। ओवैसी क्षेत्रीय दलों पर कुल्हाड़ी चलाते है। इनका मकसद तेजस्वी, स्टालिन, अखिलेश और ममता जैसे क्षेत्रीय नेताओं को कमजोर करना है, बिहार चुनाव गवाह है, 1-2 फ़ीसदी वोट लेकर ओवैसी वो काम कर जाते है जो भाजपा नहीं कर पाती।
भारत में कई पार्टियां है जो ओवैसी और केजरीवाल से मज़बूत है, पुरानी है, धनबल में शक्तिशाली है. लेकिन वो अन्य राज्य में चुनाव लड़ने नहीं जाती। सबकी अपनी स्ट्रेटजी है लेकिन केजरी जैसों की स्ट्रेटजी कांग्रेस शासित राज्यों में जाकर स्पेस बनाना है, भाजपा को मजबूत करना है।
इसीलिए, एक दफा केजरीवाल का नागरिकता कानून, जामिया-जेएनयू हिंसा, दिल्ली दंगा, धारा 370, रासुका कानून, अयोध्या विवाद जैसे मुद्दों पर बयान देख लीजिए… फिर तय कीजिए इन्हें कहां देखना है, कितना देखना है, क्यों देखना है.?
भारतीय संविधान ने सभी दलों और नेताओ को चुनाव लड़ने का हक दिया है… अब बस ये तय कीजिए की कौन सी पार्टियां उस संविधान के हक में खड़ी है और कौन संविधान विरोधी ताकतों को पनाह दे रही है। और हां, ये हमेशा याद रखिए. भाजपा जैसी शक्तिशाली पार्टी को पूरे देशभर में केवल कांग्रेस ही रोक सकती है। अन्य कोई पार्टी उनसे लड़ाई की स्थिति में नहीं है, जो है वो कांग्रेस का नुकसान करके भाजपा को लाभ दे रही है।
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