BY- BIPUL KUMAR
जिम कार्बेट का नाम तो हिंदुस्तान में लगभग सभी ने सुना हो होगा। वही जिनके नाम पर हिंदुस्तान का सबसे बड़ा नैशनल पार्क है, वही जिम कार्बेट थे जिन्होंने एलिज़ाबेथ को एक पेड़ राजकुमारी की तरह चढ़ते देखा था, और फिर अगली सुबह जब वो उस पेड़ से उतर रही थीं तो वो राजकुमारी नहीं महारानी बन कर उतर रही थी।
दरअसल 1875 में नैनीताल में जन्मे जिम कॉर्बेट वैसे तो पूरे जीवन भारत में ही रहे लेकिन जब भारत देश आज़ाद हुआ तो उन्होंने अपना नया ठिकाना बनाया केन्या को…और केन्या में एक जंगल में वो अपना आशियाना बनाकर रहने लगे।
फिर 1952 के फ़रवरी महीने के पहले हफ़्ते में उन्हें टेलीफोन आया, प्रिन्सेस एलिज़ाबेथ अपने पति के साथ केन्या के जंगलों का नज़ारा देखना चाहती हैं, और उसके लिए जिम कॉर्बेट को अपने साथ रखना चाहती हैं।
उस समय केन्या के जंगल में एक ट्री हाउस की बड़ी चर्चा थी, एक 300 सो पुराने विशाल पेड़ के ऊपर एक दो कमरों का ट्री हाउस बनाया गया था और रॉयल प्रिन्सेज़ और उनके पति वहीं ठहरने वाले थे। जिम उनके साथ देने के लिए बुलाए गए क्यूँकि जंगलों के बारे में जिम कॉर्बेट की ख्याति पूरी दुनिया में थी।
तो 5 फ़रवरी की रात जंगल के उसी ट्री हाउस में बैठकर जब प्रिन्सेस सोने चली गयीं तब जिम भी वापस आ गए और फिर उसी रात लंदन में प्रिन्सेस एलिज़ाबेथ के पिता का देहांत हो गया, और शाही क्राउन को ख़ाली न रखने की परम्परा के चलते, प्रिन्सेस एलिज़ाबेथ को उसी रात ब्रिटेन की महारानी घोषित कर दिया गया।
वह सिर्फ 25 साल की थी, जब उस राजगद्दी पर बैठी ,जिसके साम्राज्य के बारे में कहा जाता है कि, कभी सूरज अस्त नहीं होता। वह सबसे ज्यादा दिनों तक लगभग 70 साल तक उस राजगद्दी पर रही और 15 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया ,जिसमें विंस्टन चर्चिल और मार्गरेट थैचर जैसे धाकड़ राजनेता थे।
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